मेरे पास एक घर है, एक छत है,
फिर भी मैं दुखी हूँ,
क्यूंकि मेरे पड़ोसी की छत चूती नहीं।
मेरे पास दो जोड़ कपडे हैं,
फिर भी मैं दुखी हूँ,
कि मेरे पडोसी के कपडे मुझसे चमकदार कैसे।
मैं और मेरा परिवार दो वक़्त की रोटी खा लेता है,
फिर भी मैं दुखी हूँ,
कि सामने की झोपडी के ग़रीब
भूखे भी कैसे हंस लेते हैं।
मैं दुनिया का सबसे दुखी व्यक्ति हूँ
क्यूंकि,
मेरे आस पास के लोग खुश हैं।
दूसरे के सुख में दुखी...यही हालत है आज के इंसान की.
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