रविवार, 6 जून 2010

जीना और मरना

मैं जिया कुछ इस तरह

कि मरने वाला शर्मसार था।

मैं मरा कुछ इस तरह

कि जीने वाला जार जार था।

जीने और मरने में

फर्क इतना है यारों,

कोई जीने के लिए जीता है,

तो कोई मर कर भी जीता है।

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