शुक्रवार, 4 जून 2010

बूँद

मैं और मेरे दोस्त ने देखा
एक बूँद को,
आसमान से गिरते हुए।
बूँद ज़मीन पर गिरी
और धूल में मिल गयी
दोस्त बोला-
आह ! धूल में मिल गयी।
मैंने उसे रोका
और कहा-
ज़रा देखो
बेशक,
धूल मिटटी में मिल गयी है,
पर उसके मिटने का निशाँ बाकी है।
धूल नम हो गयी है,
बूँद की यही खासियत
धूल को जीवनदायी बना देगी
ज़रुरत एक बीज की है
बूँद को धूल में मिलाने वाली
कल एक पौंधे को जन्म देगी।

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