शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

तो भिडिये

क्या आप समझौता करना चाहते हैं ?
तो फिर भिडिये।
यदि भिड़ेंगे नहीं,
तो सामने वाले की
ताक़त कैसे जानेंगे?
क्यों किया जाये समझौता,
कैसे समझेंगे ?
क्योंकि,
समझौता तो ताक़तवर से किया जाता है,
जिसे हराया नहीं जा सकता,
जिसे दबाया नहीं जा सकता।
कमजोर तो,
मारने के लिए है,
जीतने के लिए है।

1 टिप्पणी:

  1. ह्म्म्म... भिड़ाने से सिर्फ सामनेवाले नहीं बल्कि अपनी ताकत का भी अंदाज़ा हो जाता है... बहुत खूब...

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