गुरुवार, 25 नवंबर 2010

जब जुड़ना ही है तो.....ब्रेक के बाद क्यूँ?


चोपडाओं और जोहरों का फिल्म बनाने का अपना तरीका है। इसमें वह दर्शकों को आकर्षित कर पाने में सफल भी होते रहे हैं, इसलिए वह अपनी इस शैली पर खुद ही फ़िदा हैं। अब ये बात दीगर है कि इन फिल्मकारों की इस घिसी पिटी शैली से दर्शक ऊबने लगे हैं। यश चोपड़ा की प्यार इम्पोसिबिल तथा जोहर की वी आर फॅमिली और आइ हेट लव स्टोरीज की असफलता इसका प्रमाण है। कुनाल कोहली भी इसी स्कूल से हैं। इसी लिए उनकी नयी फिल्म ब्रेक के बाद में चोपडाओं और जोहरों की झलक नज़र आती है। अभय गुलाटी और आलिया खान बचपन से साथ पले बढे हैं। अभय आलिया से प्रेम करता है और शायद आलिया भी। पर ना जाने क्यूँ आलिया ब्रेक लेना चाहती है और अभय इसे मान भी लेता है। क्यूँ ? यह कुनाल जाने। आलिया ऑस्ट्रेलिया चली जाती है। अभय भी पीछे पीछे जाता है। आलिया को फिल्म की हिरोइन बनाने का अवसर मिलाता है। वह अभय को ठुकरा कर फिल्म स्वीकार लेती है। अभय भारत वापस होने के बजाय खानसामा बन जाता है। इतना अच्छा खाना बनता है कि होटल खोल लेता और देखते ही देखते होटल की चेन खुल जाती हैं। माँ बाप के कहने पर शादी करने के लिए तैयार हो जाता है। आलिया को मालूम पड़ता है तो वह भारत वापस होती है कि अभय ने अपनी शादी के बारे में पहले उसे क्यूँ नहीं बताया। फिल्म के अंत में पता चलता है कि अभय आलिया को पाने के लिए यह सब कर रहा था। इस फिल्म के दौरान और ख़त्म होने पर दर्शक सोचता रहता है कि फिल्म में कुछ भी क्यूँ हो रहा था। बिलकुल फ्लैट तरीके से फिल्म चलती है, घटनाएँ घटती हैं एक्टर अभिनय करते हैं। किसी भी फ्रेम में कुछ भी नया नहीं। अभिनय भी कहानी की तरह बासी है। इमरान बन्दर की तरह मुह बनाते हैं, अपने मामू का नाम डुबोते हैं। दीपिका पादुकोण इतनी अगली कभी नहीं लगी। फिल्म जब ख़त्म होती है, तब दर्शक खुद से पूछता है जब जुड़ना ही था, तो....ब्रेक के बाद क्यूँ?

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