सोमवार, 25 अक्टूबर 2010

भ्रष्ट भी, और अब आलसी भी

अख़बारों में खबर पढ़ कर बड़ा अजीब सा लगा। हमारे देश के उद्योगों में अब विदेशी प्रवेश हो गया है। विदेशी कंपनियां आती तो बात दूसरी थी, यहाँ तो विदेशी लेबर हमारे देशी उद्योगों में पाँव जमा रहा है। चीनी मजदूरों का हमारे उद्योगों में योगदान हमारे लिए शर्म की बात है। किसी तकनीकी ज़रुरत के कारण चीनी मजदूरों का आना समझ में आता है। मगर, वोह इसलिए हमारे देश के उद्योगों में ज़गह पायें, कि हम आलसी हैं, हमारे लिए सचमुच शर्म की बात है। अभी तक हम भ्रष्टाचार के मामले में अन्य देशों को चुनौती पेश कर रहे थे, अब हमारा आलसी भी होना, यह साबित करता है कि हम लोग पतित से पतित होते जा रहे हैं। हमारा जन गन मन पतित है और कुछ ज्यादा पतित होता जा रहा है। क्या कभी हम इससे उबरने की कोशिश करेंगे?

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